Afghanistan tour of India
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Rohit Sharma:  भारतीय क्रिकेट टीम की कमान साल 2021 में रोहित शर्मा के हाथों में आयी। विराट कोहली जो द्वीपक्षीय सीरीज में एक से एक बड़ी टीम को मात देकर दिग्गज कप्तान बने, लेकिन उनकी कप्तानी में बाइलेट्रल सीरीज के अलावा कोई बड़ा इवेंट नहीं जीता जा सका। कोहली जो हासिल नहीं कर सके, वो रोहित शर्मा से काफी आस है, लेकिन अब तक हिटमैन का भी परफेक्ट निशाना नहीं लग सका है। पिछले साल रोहित की कप्तानी में ही भारत ने टी20 वर्ल्ड कप और एशिया कप टी20 जैसे इवेंट खेले, लेकिन वहां निराशा ही मिली।

रोहित शर्मा के पास है अगले कुछ महीनों में महान कप्तान बनने का मौका

अब रोहित शर्मा के नेतृत्व में टीम इंडिया को आने वाले करीब ढ़ाई महीनों में 2 बड़े इवेंट में हिस्सा लेना है। ये भारतीय क्रिकेट टीम के लिए बहुत ही खास समय होने वाला है, तो साथ ही कप्तान रोहित शर्मा के लिए भी कड़ा इम्तिहान होने जा रहा है। अगर भारत ने एशिया कप और वर्ल्ड कप जैसे टूर्नामेंट को अपने नाम कर लिया तो रोहित शर्मा भारत के सबसे महान कप्तानों में शुमार हो जाएंगे।

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एशिया कप और वर्ल्ड कप जीतकर रोहित बन सकते हैं सबसे बड़े कप्तान

ऐसे में साफ है कि मुंबई के इस दिग्गज खिलाड़ी के कैंप्टेंसी करियर में अगले कुछ महीनों बहुत ही बड़ा इम्पेक्ट छोड़ने वाले हैं। इस बात को भारत के महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर भी मानते हैं, जिन्होंने रोहित शर्मा की कप्तानी को लेकर बहुत ही बड़ा बयान दिया है। उन्होंने अपने स्टेटमेंट में साफ किया कि इस दिग्गज खिलाड़ी की लीडरशिप में टीम इंडिया ने ये दोनों खिताब जीत लिए तो वो बहुत ही खास दर्जा हासिल कर लेंगे।

एशिया कप और वर्ल्ड कप जीतकर रोहित बन सकते हैं महान कप्तान- सुनील गावस्कर

हिंदुस्तान टाइम्स को लिखे अपने लेख में सुनील गावस्कर ने कहा कि, दिन के आखिर में आपकी कप्तानी का आकलन आपके द्वारा जीती गई ट्रॉफियों की संख्या के आधार पर किया जाता है। अगर रोहित आने वाले इन दोनों ही टूर्नामेंट को जीतने में कामयाब होते हैं तो वह खुद को महान कप्तानों में शुमार कर लेंगे।

वर्ल्ड कप जैसे इवेंट में ऑलरांडर्स का होना है जरूरी

इसके बाद उन्होंने टीम में ऑलरांडर्स की अहमियत को भी जाहिर करते हुए कहा कि अगर आप साल 1983, 1985 और साल 2011 की टीमें देखें तो उसमें ऑलराउंडर खिलाड़ियों की संख्या काफी ज्यादा थी। उसमें ऐसे बल्लेबाज थे जो 7 से 8 ओवर गेंदबाजी भी कर सकते थे। 2011 की टीम में सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह और सुरेश रैना थे जो गेंदबाजी में उपयोगी साबित हुए। यह सबसे बड़ी बात थी।

किस्तम का साथ भी है अहम, 2019 में नहीं मिला था भाग्य का साथ

इसके बाद इस लिटिल मास्टर बल्लेबाज ने वर्ल्ड कप जैसे इवेंट में भाग्य को भी बड़ा माना। जिसे लेकर उन्होंने कहा कि, पिछले वर्ल्ड कप में न्यूजीलैंड के खिलाफ हमारा सेमीफाइनल मुकाबला 2 दिन तक चला। अगर वह पहले दिन ही खत्म होता तो शायद परिणाम कुछ और होता। दिन बदलने के साथ हालात में भी बदलाव देखने को मिला। मुझे लगता है कि ऐसे बड़े इवेंट्स में आपको किस्मत का साथ मिलना भी काफी जरूरी है।